शब्द-विचार (क) (तत्सम, तद्भव शब्द)
परिभाषा: एक या एक से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि-समूह को शब्द कहते हैं।
शब्द के भेद: शब्द की उत्पत्ति या स्रोत, रचना या बनावट, प्रयोग तथा अर्थ के आधर पर शब्दों के निम्न भेद किये जाते हैं –
उत्पत्ति के आधार पर
उत्पत्ति एवं स्रोत के आधार पर हिन्दी भाषा में शब्दों को निम्न 4 उपभेदों में बाँटा गया है-
(i) तत्सम शब्द:
किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा के शब्दों को तत्सम शब्द कहते हैं। हिन्दी की मूल भाषा (संस्कृत) के वे शब्द, जो हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे- अट्टालिका, अर्पण, आम्र, उष्ट्र, कर्ण, गर्दभ, क्षेत्र।
(ii) तद्भव शब्द:
उच्चारण की सुविधानुसार संस्कृत के वे शब्द, जिनका हिन्दी में रूप परिवर्तित हो गया, हिन्दी में तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे – चन्द्र से चाँद, अग्नि से आग, जिह्वा से ‘जीभ’ आदि बने शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं।
तत्सम-तद्भव शब्दों की सूची:
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
अकार्य | अकाज | अग्नि | आग |
अक्षर | अच्छर/आखर | अग्रवर्ती | अगाड़ी |
अक्षत | अच्छत | अक्षय | आखा |
अक्षि | आँख | अच्युत | अचूक |
अग्र | आगे | अज्ञान | अजान |
अगम्य | अगम | अज्ञानी | अनजाना |
अद्य | आज | अन्धकार | अँधेरा |
अन्ध | अँधेरा | अन्न | अनाज |
अट्टालिका | अटारी | अन्यत्र | अनत |
अमावस्या | अमावस | अमूल्य | अमोल |
अनार्य | अनाड़ी | अमृत | अमिय/अमीय |
अम्लिका | इमली | अर्पण | अरपन |
अवगुण | औगुण | अष्ट | आठ |
अष्टादश | अठारह | अर्क | आक/अरक |
अर्द्ध | आधा | अवतार | औतार |
अश्रु | आँसू | अग्रणी | अगाडी |
अगणित | अनगिनत | आम्र | आम |
आमलक | आँवला | आदेश | आयस |
आभीर | अहीर | आखेट | अहेर |
आर्य | आरज | आलस्य | आलस |
आदित्यवार | इतवार | आम्रचूर्ण | अमचूर |
आश्चर्य | अचरज | आशीष | असीस |
आश्विन | आसोज | आश्रय | आसरा |
इक्षु | ईख | इष्टिका | ईंट |
ईष्र्या | ईर्षा | ईप्सा | इच्छा |
उत्साह | उछाह | उज्ज्वल | उजला |
उपालम्भ | उलाहना | उलूक | उल्लू |
उर्द्वतन | उबटन | उच्च | ऊँचा |
उष्ट्र | ऊँट | उलूखल | ओखली |
उपाध्याय | ओझा | उपरि | ऊपर |
उच्छवास | उसास | एला | इलायची |
एकत्र | इकट्ठा | ओष्ठ | ओठ |
अंक | ऑक | अंगुलि | अँगुरी |
अंचल | आँचल | अंगुष्ठ | अंगूठा |
कंकण | कंगन | कर्म | काम |
कटु | कड़वा | कर्तव्य | करतव |
कल्लोल | कलोल | कर्पट | कपड़ा |
कपाट | किवाड़ | कदली | केला |
कपर्दिका | कौड़ी | कर्पूर | कपूर |
कज्जल | काजल | कर्ण | कान |
कण्टक | काँटा | कपोत | कबूतर |
कर्तरी | कैंची | काँस्यकार | कसेरा |
काष्ठ | काठ | कार्य | काज |
काक | काग/कौवा | कार्तिक | कातिक |
कांचन | कचन | कास | खाँसी |
किरण | किरन | किंचित | कुछ |
कीर्ति | कीरति | कुमार | कुँअर |
कुक्कर | कुत्ता | कुम्भकार | कुम्हार |
कुक्षि | कोख | कुष्ठ | कोढ़ |
कुपुत्र | कपूत | क्रूर | कूर |
कोण | कोना | कोकिल | कोयल |
कृषक | किसान | कृष्ण | किसन/कान्ह |
गर्दभ | गधा | गर्त | गड्ढ़ा |
गहन | घना | गम्भीर | गहरा |
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
ग्रंथि | गाँठ | गर्मी | घाम |
गायक | गवैया | ग्राम | गाँव |
ग्रामीण | गॅवार | ग्राहक | गाहक |
गात्र | गात | ग्रीष्म | गर्मी |
ग्रीवा | गर्दन | गुम्फन | गूंथना |
गुहा | गुफा | गुण | गुन |
गोपालक | ग्वाल | गोमय | गोबर |
गोधूम | गेहूँ | गोस्वामी | गुसाँई |
गौर | गोरा | गो | गाय |
गृहिणी | घरनी | गृद्ध | गीध |
घट | घड़ा | घटिका | घड़ी |
घोटक | घोड़ा | घृत | घी |
घृणा | घिन | चर्मकार | चमार |
चर्म | चाम | चर्वण | चबाना |
चक्रवाक | चकवा | चतुर्थ | चौथ |
चन्द्र | चाँद | चतुष्पद | चौपाया |
चतुष्कोण | चौकोर | चंचु | चोंच |
चतुर्दश | चौदह | चतुर्विंश | चौबीस |
चक्र | चाक (चक्कर) | चिक्कण | चिकना |
चतुर्थी | चौथा | चन्द्रिका | चाँदनी |
चतुर्दिक | चहुंओर | चूर्ण | चून/ चूरन |
चित्रकार | चितेरा | चौर | चोर |
चित्रक | चीता | छिद्र | छेद |
चैत्र | चैत | छाया | छाँह |
छत्र | छाता |
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
जन्म | जनम | ज्येष्ठ | जेठ |
ज्योति | जोति/जोत | जामाता | जमाई |
जिह्वा | जीभ | जीर्ण | झीना |
जंघा | जाँघ | तपस्वी | तपसी |
तण्डुल | तन्दुल | ताम्र | ताम्बा |
तप्त | तपन | तीर्थ | तीरथ |
तिलक | टीका | तुन्द | तोंद |
तीक्ष्ण | तीखा | त्वरित | तुरन्त |
तैल | तेल | दन्त | दाँत |
तृण | तिनका | दद्रु | दाद |
दधि | दही | दक्ष | दछ |
दन्तधावन | दातुन | दाह | डाह |
दण्ड | डण्डा | द्विवर | देवर |
दक्षिण | दाहिना | दीपशलाका | दीयासलाई |
दिशान्तर | दिसावर | दुग्ध | दूध |
दीप | दीया | दुर्बल | दुबला |
दीपावली | दीवाली | दौहित्र | दोहिता |
दुर्लभ | दूल्हा | द्विगुण | दूना |
दूर्वा | दूब | द्विपट | दुपट्टा |
दृष्टि | दीठि | द्वितीय | दूजा |
द्वादश | बारह | धर्त्तूर | धतूरा |
द्विपहरी | दुपहरी | धूलि | धूरि |
धर्म | धरम | धैर्य | धीरज |
धरणी | धरती | नक्षत्र | नखत |
धूम्र | धुआँ | नयन | नैन |
नग्न | नंगा | नम्र | नरम |
नव्य | नया | नव | नौ |
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
नकुल | नेवला | नारिकेल | नारियल |
नासिका | नाक | नापित | नाई |
निपुण | निपुन | निम्ब | नीम |
निद्रा | नींद | निम्बुक | नींबू |
निशि | निसि | निष्ठुर | निठुर |
नृत्य | नाच | पक्व | पक्का |
पक्ष | पंख | पद्म | पदम |
पथ | पंथ | पट्टिका | पाटी |
पक्षी | पंछी | पर्यंक | पलंग |
पक्वान्न | पकवान | परीक्षा | परख |
पश्चाताप | पछतावा | परश्वः | परसों |
पर्पट | पापड़ | पवन | पौन |
परमार्थ | परमारथ | पत्र | पत्ता |
परशु | फरसा | पाश | फन्दा |
पाषाण | पाहन | पाद | पैर |
पिप्पल | पीपल | पिपासा | प्यास |
पितृ | पितर | पीत | पीला |
पुच्छ | पूँछ | पुष्प | पुहुप |
पुष्कर | पोखर | पुत्र | पूत |
पूर्व | पूरब | पूर्ण | पूरा |
पौष | पूस | पौत्र | पोता |
पंक्ति | पंगत | प्रिय | पिय |
प्रकट | प्रगट | प्रस्वेद | पसीना |
प्रस्तर | पत्थर | प्रतिच्छाया | परछाँई |
पृष्ठ | पीठ | फाल्गुन | फागुन |
फणि | फण | बलीवर्द | बैल |
बधिर | बहरा | बर्कर | बकरा |
बन्ध्या | बाँझ | बुभुक्षित | भूखा |
बालुका | बालू |
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
भक्त | भगत | भद् | भल्ला |
भल्लुक | भालू | भगिनी | बहिन |
भागिनेय | भानजा | भाद्रपद | भादौं |
भिक्षा | भीख | भ्रमर | भौंरा |
भ्रू | भौं/भौंह | भ्रातृ | भाई |
मकर | मगर | मक्षिका | मक्खी |
मशक | मच्छर | मस्तक | माथा |
मत्स्य | मछली | मयूर | मोर |
मल | मैल | मद्य | मद |
मनुष्य | मानुस | मदोन्मत्त | मतवाला |
महिषि | भैंस | मर्कटी | मकड़ी |
मार्ग | मारग | मास | महीना |
मणिकार | मणिहार | मातुल | मामा |
मातृ | माँ/माता | मित्र | मीत |
मिष्टान्न | मिठाई | मुक्ता | मोती |
मुषल | मुसल | मुख | मुँह |
मेघ | मेह | मौक्तिक | मोती |
मृत्यु | मौत | मृतघट्ट | मरघट |
यन्त्र-मन्त्र | जन्तर-मन्तर | यमुना | जमुना |
यज्ञ | जती | यजमान | जजमान |
यति | जग | यत्न | जतन |
यशोदा | जसोदा | यव | जौ |
यद्यपि | जदपि | यम | जम |
यश | जस | यज्ञोपवीत | जनेऊ |
युक्ति | जुगति | यूथ | जत्था |
युवा | जवान | योगी | जोगी |
रज्जु | रस्सी | रक्षा | राखी |
राजपुत्र | राजपूत | राशि | रास |
रिक्त | रीता | रूदन | रोना |
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
लक्ष्मण | लखन | लक्षण | लच्छन |
लज्जा | लाज | लक्ष | लाख |
लवंग | लौंग | लवण | लौण/नोन |
लवणता | लुनाई | लक्ष्मी | लिछमी |
लेपन | लीपना | लोमशा | लोमड़ी |
लौहकार | लुहार | लौह | लोहा |
वणिक | बनिया | वत्स | बच्चा/बछड़ा |
वधू | बहू | वट | बड़ |
वरयात्रा | बरात | वज्रांग | बजरंग |
वचन | बचन | वर्षा | बरसात |
वर्ण | बरन | वक | बगुला |
वाष्प | भाप | वानर | बन्दर |
वाणी | बैन | विष्टा | बींट |
विवाह | ब्याह | विद्युत | बिजली |
वीणा | बीना | विकार | बिगाड़ |
वंश | बाँस | वंशी | बाँसुरी |
व्यथा | विथा | वृषभ | बैल |
वृक्ष | बिरख/बिरछ | वृद्ध | बूढ़ा |
व्याघ्र | बाघ | वृश्चक | बिच्छू |
शर्करा | शक्कर | शकट | छकड़ा |
शत | सौ | शय्या | सेज |
शाक | साग | शाप | सराप |
शिक्षा | सीख | शीतल | सीतल |
शुक | सुआ | शुष्क | सूखा |
शून्य | सूना | शूकर | सूअर |
शुण्ड | सूँड | श्वसुर | ससुर |
श्यामल | साँवला | श्याली | साली |
श्वश्रू | मूँछ | श्वश्रु | सास |
श्वास | साँस | श्मशान | मसान |
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
श्रृंगार | सिंगार | श्रृगाल | सियार |
श्रृंग | सींग | श्रावण | सावन |
श्रेष्ठि | सेठ | षोडश | सोलह |
सरोवर | सरवर | सप्तशती | सतसई |
सर्सप | सरसों | सपत्नी | सौत |
सर्प | साँप | सन्ध्या | साँझ |
सत्य | सच | साक्षी | साखी |
सूत्र | सूत | सूर्य | सूरज |
सौभाग्य | सुहाग | स्वप्न | सपना |
स्वर्णकार | सुनार | स्थल | थल |
स्कन्ध | कध | स्थान | थान |
स्तम्भ | खम्भा | स्नेह | नेह |
स्पर्श | परस | हरिद्रा | हल्दी |
हरित | हरा | हर्ष | हरख |
हस्तिनी | हथिनी | हण्डी | हाँडी |
हट्ट | हाट | हस्त | हाथ |
हस्ती | हाथी | हास्य | हँसी |
हरिण | हिरन | हीरक | हीरा |
हिन्दोला | हिण्डोला | क्षति | छति |
होलिका | होली | क्षार | खार |
क्षण | छिन | क्षीण | छीन |
क्षत्रिय | खत्री | त्रयोदश | तरह |
क्षीर | खीर | क्षेत्र | खेत |
(iii) देशज शब्द:
किसी भाषा में प्रचलित वे शब्द, जो क्षेत्रीय जनता द्वारा आवश्यकतानुसार गढ़ लिए जाते हैं, देशज शब्द कहलाते हैं। अर्थात् भाषा के अपने शब्दों को देशज शब्द कहते हैं। साथ ही वे शब्द भी देशज शब्दों की श्रेणी में आते हैं जिनके स्रोत का कोई पता नहीं है तथा हिन्दी में संस्कृतेतर भारतीय भाषाओं से आ गये हैं।
(अ) अपनी गढन्त से बने शब्द: ऊटपटाँग, ऊधम, अँगोछा, कंजड, खटपट, खचाखच, खर्राटा, खिड़की, खुरपा, गाड़ी, गड़गड़ाना, गड़बड़, घेवर, चम्मच, चहचहाना, चिमटा, चाट, चुटकी, चिंघाड़ना, चट्टी, छोहरा, छल-छलाना, झण्डा, झगड़ा, टट्टू, ठठेरा, डगमगाना, ढक्कन, ढाँचा, ढोर, दीदी, पटाखा, परात, पगड़ी, पेट, फटफट, बड़बड़ाना, बटलोई, बाप, बुद्धु, बलबलाना, भोला, मकई, मिमियाना, मुक्का, लपलपाना, लड़की, लुग्दी, लोटपोट, लोटा, हिनहिनाना।
(आ) द्रविड़ जातियों की भाषाओं से आये देशज शब्द: अनल, कज्जल, नीर, पंडित, माला, मीन, काच, कटी, चिकना, ताला, लूँगी, डोसा, इडली।
(इ) कोल संस्थाल आदि जातियों की भाषा से बने हिकी के देशज शब्द: कदली से केला, कर्पास से कपास, सरसों, कोड़ी, ताम्बूल, परवल, बाजरा, भिंडी।
(iv) विदेशी शब्द:
राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारणों से किसी भाषा में अन्य देशों की भाषाओं से भी शब्द आ जाते हैं, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। हिन्दी भाषा में प्रयुक्त अंग्रेजी, अरबी, फारसी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, चीनी भाषाओं के अतिरिक्त डच, जर्मनी, जापानी, तिब्बती, रूसी, यूनानी भाषा के भी शब्द प्रयुक्त होते हैं।
(क) अंग्रेजी भाषा के शब्द जो प्रायः हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं: अण्डरवियर, अल्मारी, अस्पताल, इंजीनियर, एक्स–रे, एजेण्ट, एम.पी., क्लास, क्लर्क, कलेक्टर, कॉपी, कार, कैमरा, केस, कोट, क्रिकेट, गार्ड, चैक, टायर, ट्यूब, टेलिविजन, टेलर, टीचर, ट्रक, डबल बैड, डॉक्टर, ड्राफ्ट, निब, पोस्टकार्ड, पेन, प्लेटफार्म, पाउडर, पोलिंग, पार्लियामेन्ट, पंचर, फिल्म, फाइल, फुटबाल, बस, बिल्डिंग, बैंक, बैण्ड, ब्रुश, बुश्शर्ट, बैडमिण्टन, मास्टर, मजिस्ट्रेट, मेम्बर, यूनिवर्सिटी, यूनीफार्म, रेडियो, रजिस्टर, रेल, रेडीमेड, लीडरशिप, लाटरी, वारण्ट, वोट, शर्ट, सूट, सिगनल, सिलैण्डर, सीमेण्ट, स्कूटर, स्वैटर।।
(ख) अरबी भाषा के शब्द: अक्ल, अजीब, अदालत, आजाद, आदमी, इज्जत, इलाज, इन्तजार, इनाम, इस्तीफा, औलाद, कमाल, कब्जा, कानून, कुर्सी, किताब, किस्मत, कबीला, कीमत, गरीब, जनाब, जलसा, जवाब, जुर्माना, जिला, तहसील, ताकत, तारीख, तूफान, तराजू, तमाशा, दुनिया, दफतर, दौलत, नतीजा, नशा, नकद, फकीर, फैसला, बहस, मदद, मतलब, लिफाफा, वकील, शतरंज, शादी, सुबह, हलवाई, हिम्मत, हिसाब, हुक्म।
(ग) फारसी के शब्द: अखबार, अमरूद, आराम, आवारा, आसमान, आतिशबाजी, आमदनी, कमर, कारीगर, कमीना, कुश्ती, खराब, खर्च, खजाना, खून, खुश्क, गवाह, गुब्बारा, गुलाब, जानवर, जेब, जगह, जमीन, जलेबी, तनख्वाह, तबाह, दर्जी, दवा, दरवाजा, दीवार, नमक, नेक, बीमार,मजदूर, मलाई, यार, लगाम, शेर, शराब, सूखा, सूद, सेर, सौदागर, सुल्तान, सुल्फा।
(घ) पुर्तगाली भाषा से: अचार, अगस्त, आलपिन, आलू, आया, अन्नानास, इस्पात, कनस्तर, कारबन, कमीज, कमरा, गमला, गोभी, गोदाम, चाबी, तौल्मित, नीलाम, पीपा, पादरी, पिस्तौल, फीता, बस्ता, बटन, बाल्टी, पपीता, प्याला, पतलून, मेज, लबादा, संतरा, साबुन।
(च) तुर्की से: आका, उर्दू, एलची, काबू, खाँ, कैंची, काबू, कुर्की, कलंगी, कालीन, खंजर, खॉ, चाक, चिक, चेचक, चुगली, चोगा, तमगा, तमाशा, तोप, बारूद, बाबर्ची, बीबी, बेगम, बहादुर, मुगल, लाश।
(छ) फ्रेंच (फ्रांसीसी) से: अंग्रेज, काजू, कारतूस, कूपन, टेबुल, मेयर, मार्शल, मीनू, रेस्ट्रॉ, सूप।
(ज) चीनी से: चाय, लीची, लोकाट, तूफान।
(झ) डच से: तुरुप, बम, चिड़िया, ड्रिल।
(ट) जर्मनी से: नात्सी, नाजीवाद, किंडर गार्टन।
(ठ) जापानी से: रिक्सा, सायोनारा।
(ड) तिब्बती से: लामा, डॉडी।
(ढ) रुसी से: जार, सोवियत, रूबल, स्पुतनिक, बुर्जुग।
(त) यूनानी से: एकेडमी, एटम, एटलस, टेलिफोन, बाइबिल।
(v) संकर शब्द: हिन्दी में वे शब्द जो दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को मिलाकर बना लिये गये हैं, संकर शब्द कहलाते हैं।
अग्नि बोट – अग्नि (संस्कृत) + बोट (अंग्रेजी)
टिकिट-घर – टिकिट (अंग्रेजी) + घर (हिन्दी)
तपैदिक – तप (फारसी) + दिक (अरबी)
नेकचलन – नेक (फारसी) + चलन (हिन्दी)
नेक नीयत – नेक (फारसी) + नीयत (अरबी)
बे-आब – बे (फारसी) + आब (अरबी)
बे-ढंगा – बे (फारसी) + ढंगा (हिन्दी)
बे-कायदा – बे (फारसी) + कायदा (अरबी)
विसातखाना – विसात(अरबी) + खाना (फारसी)
सजा प्राप्त – सजा (फारसी) + प्राप्त (हिन्दी)
रेलगाड़ी – रेल (अंग्रेजी) + गाड़ी (हिन्दी)
उड़न तश्तरी – उड़न (हिन्दी) + तश्तरी (फारसी)
कवि दरबार – कवि (हिन्दी) + दरबार (फारसी)
बम वर्षा – बम (अंग्रेजी) + वर्षा (फारसी)
जाँचकर्ता – जाँच (फारसी) + कर्ता (हिन्दी)
(ख) रचना के आधार पर: शब्दों की रचना प्रक्रिया के आधार पर हिन्दी भाषा के शब्दों के तीन भेद किये जाते हैं –
(1) रूढ़ शब्द
(2) यौगिक शब्द
(3) योग रूढ़ शब्द
(1) रूढ़ शब्द: वे शब्द जो किसी व्यक्ति, स्थान, प्राणी और वस्तु के लिए वर्षों से प्रयुक्त होने के कारण किसी विशिष्ट अर्थ में प्रचलित हो गए हैं, ‘रूढ़ शब्द’ कहलाते हैं। इन शब्दों की निर्माण प्रक्रिया भी पूर्णतः ज्ञात नहीं होती। इनका अन्य अर्थ भी नहीं होता तथा इन शब्दों के टुकड़े करने पर भी उन टुकड़ों के स्वतन्त्र अर्थ नहीं होते। जैसे – दूध, गाय, रोटी, दीपक, पेड़, पत्थर, देवता, आकाश, मेंढ़क, स्त्री।
(2) यौगिक शब्द: वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने हैं। उन शब्दों का अपना पृथक् अर्थ भी होता है, किन्तु वे मिलकर अपने मूल शब्द से सम्बन्धित या अन्य किसी नये अर्थ का भी बोध कराते हैं, यौगिक शब्द कहलाते हैं। समस्त संधि, समास, उपसर्ग तथा प्रत्यय से बने शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं। यथा – विद्यालय, प्रेमसागर, प्रतिदिन, दूधवाला, राजमाता, ईश्वर-प्रदत, राष्ट्रपति, महर्षि, कृष्णार्पण, चिड़ीमार।
(iii) योगरूढ़ शब्द: वे यौगिक शब्द जिनका निर्माण पृथक् पृथक् अर्थ देने वाले शब्दों के योग से होता है, किन्तु वे अपने द्वारा प्रतिपादित अनेक अर्थों में से किसी एक विशेष अर्थ के लिए ही प्रतिपादित होकर रूढ़ हो गये हैं, ऐसे शब्दों को योगरूढ़ शब्द कहते हैं।
जैसे – पीताम्बर, शब्द ‘पीत’ और ‘अम्बर’ के योग से बना है, जो विष्णु के अर्थ में रूढ़ है। इसी प्रकार दशानन, हिमालय, जलज, जलद, गजानन, लम्बोदर, त्रिनेत्र, चतुर्भुज, घनश्याम, रजनीचर, विषधर, चक्रधर, षडानन, रावणारि, मुरारि।
(ग) प्रयोग के आधार पर: प्रयोग के आधार पर हिन्दी में शब्दों के दो भेद किए जाते हैं।
(i) विकारी
(ii) अविकारी या अव्यय शब्द
(i) विकारी शब्द: वे शब्द, जिनका रूप लिंग, वचन, कारक और काल के अनुसार परिवर्तित हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। विकारी शब्दों में समस्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द आते हैं। इनका विस्तृत अध्ययन अलग प्रकरण में किया गया है।
(ii) अविकारी या अव्यय शब्द: वे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार कोई विकार उत्पन्न नहीं होता अर्थात् इन शब्दों का रूप सदैव वही बना रहता है। ऐसे शब्दों को अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों में क्रियाविशेषण, सम्बन्ध – बोधकक अव्यय, समुच्चय बोधक अव्यय तथा विस्मयादिबोधक अव्यय आदि शब्द आते हैं।
(घ) अर्थ के आधार पर: अर्थ के आधार पर शब्दों के निम्न भेद किए जाते हैं
(i) एकार्थी शब्द: वे शब्द जिनका प्रयोग प्रायः एक ही अर्थ में होता है, एकार्थी शब्द कहलाते हैं।
जैसे: दिन, धूप, लड़का, पहाड़, नदी।
(ii) अनेकार्थी शब्द: वे शब्द, जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं, तथा उनका प्रयोग अलग-अलग अर्थ में किया जा सकता है। जैसे: अज, अमृत, कर, सारंग, हरि आदि अनेकार्थी शब्द हैं।
(iii) पर्यायवाची शब्द: वे शब्द, जिनका अर्थ समान होता है। अर्थात् एक ही शब्द के अनेक समानार्थी शब्द पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। जैसे: सूर्य, भानु, रवि, दिनेश, भास्कर आदि शब्द सूर्य के समानार्थी या पर्यायवाची शब्द हैं।
(iv) विलोम शब्द: वे शब्द जो एक दूसरे का विपरीत अर्थ देते हैं, उन्हें विलोम या विपरीतार्थक शब्द कहते हैं।
जैसे दिन-रात, जय-पराजय, आशा-निराशा, सुख-दुःख।
(v) समोच्चारित शब्द या युग्म शब्द : वे शब्द जिनका उच्चारण समान प्रतीत होता है किन्तु अर्थ बिल्कुल भिन्न होता है। ऐसे शब्दों को समोच्चारित शब्द, युग्म–शब्द या समरूपी भिन्नार्थक शब्द कहते हैं। जैसे: अनल-अनिल उच्चारण में समान है किन्तु अनल का अर्थ है- आग तथा अनिल का अर्थ है-हवा।
(vi) शब्द समूह के लिए एक शब्द: वे शब्द जो किसी वाक्य, वाक्यांश या शब्द समूह के लिए एक शब्द बन कर प्रयुक्त होते हैं उन्हें शब्द समूह के लिए प्रयुक्त ‘एक शब्द’ कहते हैं।
जैसे – जिसका कोई शत्रु न हो – अजातशत्रु।
(vii) समानार्थक प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द: वे शब्द जो मोटे रूप में समान अर्थ वाले प्रतीत होते हैं, किन्तु उनमें अर्थ का इतना सूक्ष्म अन्तर होता है कि उन्हें अलग-अलग संदर्भ में ही प्रयुक्त करना पड़ता है। जैसे अस्त्र-शस्त्र। ‘अस्त्र’ शब्द उन हथियारों के लिए प्रयुक्त होता है, जिन्हें फेंक कर वार किया जाता है,जैसे- तीर, बम, बन्दूक, आदि जबकि शस्त्र उन हथियारों को कहते हैं जिनका प्रयोग पास में रखकर ही किया जाता है जैसे- लाठी, तलवार, चाकू, भाला आदि।
(viii) समूहवाची शब्द: वे शब्द जो किसी एक समूह का बोध कराते हैं उन्हें समूहवाची शब्द कहते हैं जैसे : गट्ठर (लकड़ी या पुस्तकों का) गुच्छा (चाबियाँ या अंगूर का) गिरोह (माफिया या डाकुओं का), जोड़ा (जूतों का, हंसों का) जत्था (यात्रियों का, सत्याग्रहियों का), झुण्ड (पशुओं का) टुकड़ी (सेना की), ढेर (अनाज का), पंक्ति (मनुष्यों, हंसों की), भीड़ (मनुष्यों की), माला (फूलों की, मोतियों की), श्रृंखला (मानव, लौह), रेवड़ (भेड़ व बकरियों का), समूह (मनुष्यों का)।
(ix) ध्वन्यार्थक शब्द: वे ध्वन्यात्मक शब्द जिनका अर्थ ध्वनियों पर आधारित होता है। इनको निम्न उपभेदों में बाँट सकते हैं
(क) पशुओं की बोलियाँ: किलकिलाना (बन्दर), गुर्राना, (चीता) दहाड़ना (शेर) भौंकना (कुत्ता), रेंकना (गधा), हिनहिनाना (घोड़ा), डकारना (बैल) चिंघाड़ना (हाथी), हुँफकारना (साँप), मिमियाना (भेड़, बकरी) रंभाना (गाय), गुंजारना (भौंरा), टर्राना (मेंढ़क), म्याऊ (बिल्ली) बलबलाना (ऊँट), हुआ हुआ (गीदड़)!
(ख) पक्षियों की बोलियाँ : कूजना (बतख, कुरजा), कुकडुनूं (मुर्गा) चीखना (बाज), हू हू (उल्लू), काँव-काँव (कौवा) गुटरगूं (कबूतर), टें-टें (तोता), कूहकना (कोयल), चहचहाना (चिड़िया) मेयो, मेयो (मोर) ।
(ग) जड़ पदार्थों की ध्वनियाँ : कड़कना (बिजली), खटखटाना (दरवाजा), छुक-छुक (रेलगाड़ी), टिक-टिक (घड़ी), गरजना (बादल), किटकिटाना (दाँत), खनखनाना (रुपया), टनटनाना (घण्टा), फड़फड़ाना (पंख), खड़खड़ाना (पत्ते)
(घ) अन्य शब्द: छलछलाना, लहलहाना, दमदमाना, चमचमाना, जगमगाना, फहराना, लपलपाना।