मनुष्य द्वारा निर्मित पदार्थ (Man-made Suntances)
साबुन (Soap)
- उच्च वसीय अम्लों के सोडियम एवं पोटेशियम लवण साबुन कहलाते हैं, जैसे: सोडियम पालमिटेड, स्टीरेड तथा सोडियम ओलिऐट आदि।
- साबुन के निर्माण में आवश्यक प्रयुक्त सामग्री जन्तुओं की चर्बी, वनस्पति तेल, सोडियम हाइड्रॉक्साइड, सोडियम क्लोराइड आदि (अत: साबुन बनाने का प्रक्रम साबुनीकरण कहलाता है)।
डिटर्जेण्ट (Detergent)
- डिटर्जेण्ट एक विशेष प्रकार के कार्बनिक यौगिक हैं, जिनमें साबुन के समान ही सफाई का गुण विद्यमान होता है, परन्तु ये स्वयं साबुन नहीं होते।
- लॉरिल सल्फ्यूरिक एसिड को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने पर सोडियम लॉरिल सल्फेट प्राप्त हो जाता है, यही डिटर्जेण्ट (कृत्रिम साबुन) है।
- डिटर्जेण्ट के निर्माण में आवश्यक प्रयुक्त सामग्री उच्च अणु भार वाले हाइड्रोकार्बन, सल्फ्यूरिक एसिड तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड आदि।
बहुलक (Polymer)
- अधिक अणु भार वाला वह यौगिक जो कम अणु भार वाले एक या एक से अधिक प्रकार के बहुत से अणुओं के संयोजन से बनते हैं, जिनके बीच सहसंयोजक बन्ध होते हैं, बहुलक कहलाते हैं तथा यह प्रक्रम बहुलीकरण कहलाता है।
बहुलीकरण के प्रकार (Kinds of Polymerisation)
- यह दो प्रकार के होते हैं:
(i) योगात्मक बहुलीकरण
(ii) संघनन बहुलीकरण
- योगात्मक बहुलीकरण (Addition Polymerisation):
जब एकलक एक दूसरे से जुड़कर श्रृंखला बनाये तथा किसी उपजात अणु का विलोपन न हो तो प्राप्त उत्पाद को योगात्मक बहुलक तथा इस प्रक्रम को योगात्मक बहुलीकरण कहते हैं।
- संघनन बहुलीकरण (Condensation Polymerisation): जब एकलक एक दूसरे के साथ क्रिया करके बहलक बनाते हैं साथ ही उपजात अणु का विलोपन करते हैं तो इसे संघनन बहुलक तथा इस प्रकार के प्रक्रम को संघनन बहुलीकरण कहते हैं।
बहलक के प्रकार (Kinds of Polymers)
बहुलक उत्पत्ति के आधार पर वर्गीकृत किये जाते हैं।
- प्राकृतिक बहुलक: ये प्रकृति में पाये जाते हैं। जैसे: सेल्युलोज, स्टार्च, रबड़ आदि।
- कृत्रिम बहुलक: ये बहुलक प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से बनाये जाते हैं जैसे : पॉलीथीन नायलॉन, ओरलॉन, ड्रक्शन आदि। ये आणविक बलों के आधार पर भी वर्गीकृत किये जाते है।
प्रत्यास्थलक या इलेस्टोमर: इस प्रकार के बहुलकों में श्रृंखला में निर्बल अन्तराअणुक बल होते हैं। जैसे: वल्कनीकरण रबड़ आदि।
तन्तु या रेशे: इस प्रकार के बहुलकों में प्रबल कणान्तर बल जैसे कि हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है। जैसे: नायलॉन 66।
थर्मोप्लास्टिक: इस प्रकार के बहुलकों में अन्तराअणुक बल इलेस्टोमर से अधिक, किन्तु रेशे से कम होते हैं। जैसे: पॉलीस्टीरीन, पॉलीथीन, P.VC., नायलॉन आदि।
थमसैटिंग: इस प्रकार के बहलक गर्म करने पर कठोर, और अगलनीय हो जाते हैं। जैसे: बैकलाइट, मैलामाइन आदि।
उर्वरक (Fertilizers)
वनस्पतियाँ अपना भोजन मुख्यत: भूमि से जल में विलेय यौगिकों के रूप में ग्रहण करती हैं। लगातार फसल उगाने से भूमि की उर्वरता कम होती जाती है। जिनमें प्रमुख नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और कैल्शियम होते हैं अत: उनकी क्षति की पूर्ति करना अति आवश्यक है। भूमि की उर्वरकता बनाये रखने के लिये उसमें खाद और उर्वरक डाले जाते हैं।
कुछ प्रमख उर्वरक
बेसिक कैल्शियम नाइट्रेट [CaO.Ca(NO3)2]: यह एक अच्छा नाइट्रोजनी उर्वरक है। इसका प्रयोग अम्लीय भूमि में किया जाता है।
अमोनियम सल्फेट [(NH4)2SO4]: इसमें 21.2% नाइट्रोजन होती है। इसे भूमि में बार-बार डालने से भूमि अम्लीय हो जाती है, जो बीजों के अंकुरण में बाधा उत्पन्न करती है। अत: इसे लाइम के साथ मिलाकर भूमि में डाला जाता है।
कैल्शियम सायनेमाइड (CaCN2) (नाइट्रोलिम): कैल्शियम सायनेमाइड और कार्बन के मिश्रण को नाइट्रोलिम कहते हैं। इसमें 19% नाइट्रोजन होती है।
यूरिया (कार्बामाइड) [NH2CONH2]: यह सबसे अच्छा नाइट्रोजनी उर्वरक है, इसमें भारानुसार 46.6% नाइट्रोजन होती है। इसकी भूमि में पुनरावृत्ति करने पर यह भूमि के pH को नहीं बदलता।
कैल्शियम सुपर फॉस्फेट [Ca(H2PO4)2 + 2CaSO4.2H2O]: यह एक फॉस्फेटी उर्वरक है।