Chemistry Notes (Part-5)

धातु एवं अधातु (Metals & Non-metals)

  • दो प्रकार के तत्त्व होते हैं- धातु एवं अधातु।
  • ज्ञात तत्त्वों में से 80% धातु हैं।
  • जिन तत्त्वों में कठोरता, लचीलापन, भंगुरता, घातवर्धनीयता, विशेष चमक, ऊष्मा का संचालन तथा वैद्युतता आदि गुण पाए जाते हैं, उन्हें धातु कहा जाता है।
  • पारा तथा गैलियम के अतिरिक्त अन्य सभी धातु ठोस होते हैं।
  • सामान्यतः धातुओं का गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होता है।
  • अधातु वैद्युत ऋणात्मक तत्त्व होते हैं। इनकी प्रवृत्ति एक या एक से अधिक इलेक्ट्रान को प्राप्त करने की होती है जिससे ये ऋणायन (एनायन) बना सकें।
  • अधातुओं में चमक नहीं होती है तथा ये ऊष्मा व विद्युत के कुचालक होते हैं।
  • खनिज लवण प्रकृति में पाए जाने वाले रासायनिक यौगिक होते हैं। इनका संघटन, लाक्षणिकता, भौतिक रूप तथा गुण सुनिश्चित होते हैं। खनिज लवणों का मुख्यत: सामान्य समूह हैं–सिलिकेट्स, ऑक्साइड्स, सल्फाइड्स तथा कार्बोनेट्स इत्यादि।
  • धातुओं का उपयोग इनका उपयोग पुल, रेलवे, वायुयान, डीजल मोबाइल यूनिट, इलेक्ट्रिक मोबाइल यूनिट, मोटरकार, टेलिफोन, टेलीविजन, अंतरिक्ष यान, भोजन बनाने के बर्तन, सिक्के इत्यादि के निर्माण में होता है।
  • टाइटेनियम, क्रोमियम, मैंगनीज तथा जिरकोनियम इत्यादि धातुएं विशेष महत्व की हैं। इनका तथा इनके मिश्र धातुओं का उपयोग परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम, अंतरिक्ष विज्ञान परियोजना, जेट इंजन, उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात के निर्माण में होता है।
  • सोने तथा चाँदी के आभूषण बनते हैं।
  • आदर्श धातुएं: इन धातुओं का प्रकृति में क्षरण तथा ऑक्सीकरण नहीं होता है जिसमें टैंटासम, स्वर्ण, प्लेटिनम तथा रोडियम आदि धातुएं सम्मिलित है।
  • मूल्यवान धातुएं: इन धातुओं का आर्थिक महत्व अत्यधिक है। इसमें प्लेटिनम समूह की धातुएं आती हैं। जैसे- रूथेनियम, रोडियम, प्लेडियम, ऑस्मियम्, इरिडियम तथा प्लेटिनम्। इनमें प्लेटिनम का व्यावसायिक महत्व अधिक है।
  • मिश्रधातु: किसी धातु का अन्य धातु अथवा अधातु से मिश्रित होकर एक अन्य धातु का निर्माण मिश्रधातु कहलाता है। इनके गुण मूल धातुओं से भिन्न होते हैं।

 

अधातुओं का उपयोग

(i) जैव जगत के लिए ऑक्सीजन महत्वपूर्ण घटक है।

(ii) हाइड्रोजनीकरण की क्रिया द्वारा, हाइड्रोजन की सहायता से वनस्पति तेल को वनस्पति घी में परिवर्तित किया जाता है।

(iii) नाइट्रोजन का प्रयोग खाद्य संरक्षण के लिए किया जाता है। पौधे इसकी सहायता से प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं।

(iv) हीरे के रूप में कार्बन का उपयोग पत्थर तथा काँच काटने में होता है। ग्रेफाइट के रूप में इसका प्रयोग इलेक्ट्रोड के लिए किया जाता है तथा पेंसिल बनाने में भी होता है।

(v) सल्फर का प्रयोग रबर के वल्कनीकरण में कवकनाशी के निर्माण में रंग बनाने में बारूद तैयार करने में होता है।

(vi) क्लोरीन का प्रयोग जल के विशुद्धीकरण में तथा गैमक्सीन जैसे कीटनाशी के निर्माण में होता है।

 

धातुओं का निष्कर्षण

(i) खनिजः धातुएं या उनके यौगिक पृथ्वी पर अपने जिस प्राकृतिक रूप में पाये जाते हैं, उन्हें खनिज कहा जाता है।

(ii) अयस्कः वे खनिज पदार्थ जिनसे धातुएं आसानी से अनिर्थक रूप से निष्कर्षित की जा सकती हैं, अयस्क कहलाते हैं।

(iii) मूल अयस्कः इन अयस्कों में धातुएं अपने मूल रूप में पायी जाती हैं। जैसे- चांदी, स्वर्ण, प्लेटिनम इत्यादि।

(iv) धातुकर्मः धातुकर्म वह प्रक्रिया है जिसमें कोई भी धातु अपने अयस्क से निष्कर्षित की जाती है।

(v) गैंग या मैट्रिक्सः सामान्यतः अयस्कों में मिट्टी, रेत, पत्थर तथा अन्य अशुधियां पायी जाती है।

(vi) अयस्क सांद्रणः अयस्क से अशुधियां को अलग करने की प्रक्रिया अयस्क सांद्रण कहलाती है।

 

महत्वपूर्ण अयस्क तथा खनिज

 लोहा

(i) मैग्नेटाइट – Fe3O4

(ii) हेमेटाइट – Fe2O3

(iii) आयरन पायराइट – FeS2

(iv) चाल्कोपायराइट – CuFeS2

(v) साइडराइट – FeCO3

 

ताँबा

(i) क्यूप्राइट –Cu2O

(ii) चाल्को पाइराइट – CuFeS2

(iii) कापर ग्लैंस (चाल्को साइट) – CuS

(iv) मैलाचाइट – CuCO3Cu(OH)2

(v) एजुराइट – Cu(OH)2.[2CuCO3]

 

जिंक

(i) जिंसाइट -ZnO

(ii) कैलामाइन – ZnCO3

(iii) जिंक ब्लेंड -ZnS

 

चाँदी

(i) अर्जेनटाइट या सिल्वर ग्लैंस – Ag2S

(ii) हार्न सिल्वर -AgCl

 

टिन

कैसिटराइट – SnO2

 

सीसा

(i) एंजलासाइट – PbSO4

(ii) सेरुसाइट – PbCO3

(iii) लैनार्काइट – PbO.PbSO4

(iv) गैलेना – PbS

 

मैग्नेशियम

(i) मैग्नेसाइट – MgCO3

(ii) डोलोमाइट – MgCO3.CaCO3

(iii) एपसम लवण – MgSO4.7H2O

(iv) कार्नलाइट – Kcl.Mgcl2.6H2O

(v) एसबेसटास – CaMg3(SiO3)4

(vi) किसेराइट – MgSO4.2H2O

 

एल्युमिनियम

(i) कोरंडम – AI2O3

(ii) डायसपोर – Al2O3H2O

(iii) बॉक्साइट – AI2O32H2O

(iv) क्रायोलाइट – Na3AIF6

(v) फेल्डस्पार –KalSi3O8

(vi) अभ्रक – KH2AI2(SiO3)4

 

अयस्क का नामरासायनिक सूत्रअयस्क का प्रकारप्राप्त धातुएं
बाक्साइटAl2o3.2H2Oऑक्साइडएल्युमिनियम (AI)
हेमेटाइटFe2O3ऑक्साइडलोहा (Fe)
मैग्नेटाइटFe2O3ऑक्साइडलोहा (Fe)
जिंसाइटZnOऑक्साइडजिंक (Zn)
क्यूप्राइटCu2Oऑक्साइडताँबा (Cu)
लिथार्जPbOऑक्साइडसीसा (Pb)
मैलाकाइटCuCO3.Cu(OH)2कार्बोनेटताँबा (Cu)
मैग्नेसाइटMgCO3कार्बोनेटमैग्निशियम (Mg)
चूना पत्थरCaCO3कार्बोनेटकैल्सियम (Ca)
सिनाबारHgSसल्फाइडपारा (Hg)
काल्कोपाइराइटCuFeS2सल्फाइडताँबा (Cu)
जिंक ब्लेंडZnsसल्फाइडजिंक (Zn)
गैलेनाPbSसल्फाइडसीसा (Pb)
साधारण नमकNaclक्लोराइड (हैलाइड)सोडियम (Na)
फ्लोरसपारCaF2फ्लोराइड (हैलाइड)कैल्सियम (Ca)
हार्न सिल्वरAgClक्लोराइड (हैलाइड)चाँदी (Ag)
चाल्कोसाइटCu2Sसल्फाइडताँबा (Cu)

 

कुछ प्रमुख मिश्र धातुएँ (Some Important Alloys)

 

मिश्र धातुसंगठनउपयोग
सोल्डरटिन, तथा लैडटांका लगाने में
काँसाकॉपर तथा टिनबर्तन, मूर्तियाँ आदि बनाने में
टाइप मैटलटिन, लैड, एन्टीमनीछपाई में
ब्यूटरटिन, लैडबर्तन बनाने में
बैल मैटलटिन, लैड कॉपर, टिनघण्टे, पुर्जे
गन मैटलकॉपर, टिन और जिंकबन्दूकें, हथियार, मशीनों के पुर्जे
पीतलकॉपर और जिंकतार, मशीनों के पुर्जे, बर्तन
ऐल्युमिनियम ब्रान्जकॉपर और एल्युमीनियमसिक्के, सस्ते आभूषण
जर्मन सिल्वरकॉपर, जिंक और निकिलबर्तन, मूर्तियाँ आदि
कॉन्सटैन्टनकॉपर और निकिलतार, विद्युतीय यन्त्र
डैन्टल मिश्र धातुसिल्वर, मरकरी, जिंक, टिनदाँतों में भरने के लिये
स्टेनलेस स्टीलआयरन, क्रोमियम, निकिलबर्तन, चिकित्सा के औजार
एल्नीकोआयरन, एल्युमीनियम, निकिलस्थाई चुम्बक
मैग्नेलियममैग्नीशियम और एल्युमीनियमवायुयान तथा जहाजों को बनाने में

 

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