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Welcome to REET Exam 2020 Online Test Series
Subject: Hindi Language
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- Question 1 of 30
1. Question
1 pointsनिर्देश (प्रश्न संख्या 1 से 5): निम्नलिखित गद्यांश का अध्ययन कीजिए और दिये गये प्रश्नों का सही विकल्प चुनिए।
शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ठूँस दिया गया है और जो आत्मसात हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूमि कर लेने की आवश्यकता है जो जीवन-निर्माण, मनुष्य निर्माण तथा चरित्र निर्माण में सहायक हों। यदि तुम केवल पाँच ही परखे हुए विचार आत्मसात कर उनके अनुसार अपनी जीवन और चरित्र का निर्माण कर लेते हो, तो तुम एक पूरे ग्रन्थालय को कण्ठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हो। यदि शिक्षा का अर्थ जानकारी ही होता तब तो पुस्तकालय संसार में सबसे बड़े सन्प्त हो जाते और विश्वकोष महान् ॠषि बन जाते। वह शिक्षा जो जनसमुदाय को जीवन संग्राम के उपयुक्त नहीं बनाती, जो उनकी चारित्र्य-शक्ति का विकास नहीं करती, जो उनमें भूत-दया का भाव और सिंह का साहस पैदा नहीं करती, क्या उसे भी हम शिक्षा का नाम दे सकते हैं? हमें तो ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र बने, मानसिक बल बढ़े, बुद्धि का विकास हो और जिससे मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके। हमें आवश्यकता इस बात की है कि हम विदेशी अधिकार से स्वतंत्र रहकर अपने निजी ज्ञान भण्डार की विभिन्न शाखाओं को और उसके साथ ही अँग्रेजी भाषा और पाश्चात्य विज्ञान का अध्ययन करें। हमें यांत्रिक और अन्य सभी शिक्षाओं की आवश्यकता है जिनसे उद्योग धन्धों की वृद्धि और विकास हो, जिससे मनुष्य नौकरी के लिए मारा मारा फिरने के बजाय अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त कमाई कर सके और आपातकाल के लिए सुरक्षा भी कर सके। सभी प्रकार की शिक्षा और अभ्यास का उद्देश्य मनुष्य निर्माण ही हो। सारे प्रशिक्षणों का अंतिम ध्येय मनुष्य का विकास करना ही है। जिस प्रक्रिया से मनुष्य की इच्छाशक्ति का प्रवाह और प्रकाश संयमित होकर फलदायी बन सके, उसी का नाम है शिक्षा। आज हमारे देश को जिस चीज की आवश्यकता है, वह है लोहे की माँसपेशियाँ और फौलाद के स्नायु-दुर्दमनीय प्रचण्ड इच्छाशक्ति, जो सृष्टि के गुप्त तथ्यों और रहस्यों को भेद सके और जिस उपाय से भी हो सके उद्देश्य की पूर्ति करने में समर्थ हो, फिर चाहे उसके लिए समुद्र तल में ही क्यों न जाना पड़े, हम मनुष्य बनाने वाला धर्म ही चाहते हैं। हम मनुष्य बनाने वाला सिद्धान्त ही चाहते हैं। हम सर्वदा सभी क्षेत्रों में मनुष्य बनाने वाली शिक्षा ही चाहते हैं।
- आजन्म शब्द में कौनसा समास है?
- Question 2 of 30
2. Question
1 pointsनिम्न में से तत्सम शब्द नहीं है-
- Question 3 of 30
3. Question
1 pointsसृष्टि शब्द का विलोमार्थी है-
- Question 4 of 30
4. Question
1 pointsनिम्न में से किस शब्द में वि उपसर्ग का प्रयोग नहीं हुआ है?
- Question 5 of 30
5. Question
1 pointsउद्योग धन्धों में कौनसा समास है?
- Question 6 of 30
6. Question
1 pointsनिर्देश (प्रश्न संख्या 6 से 10): निम्नलिखित गद्यांश का अध्ययन कीजिए और दिये गये प्रश्नों का सही विकल्प चुनिए।
हम नाम के ही आस्तिक हैं। हर बात में ईश्वर का तिरस्कार करके ही हमने आस्तिक की ऊँची उपाधि पाई है। ईश्वर का नाम दीनबन्धु है। यदि हम वास्तव में आस्तिक हैं, ईश्वर भक्त हैं तो हमारा यह पहला धर्म है कि दीनों को प्रेम से गले लगाएँ, उनकी सहायता करें, उनकी सेवा करें। तभी तो दीनबन्धु ईश्वर हम पर प्रसन्न होगा पर हम ऐसा कब कर सकते हैं? हम तो दीन-दुर्बलों को ठुकराकर ही आस्तिक या दीनबन्धु भगवान के भक्त आज बन बैठे हैं, दीनबन्धु की ओट में हम दीनों का खासा शिकार खेल रहे हैं। कैसे अद्वितीय आस्तिक हैं हम, न जाने क्या समझकर हम अपनेकल्पित ईश्वर का नाम दीबन्धु रखे हुए हैं, क्यों इस नाम से लक्ष्मी-कान्त का स्मरण करते हैं
दीननि देख घिनात जे, नहिं दीननि सो काम।
कहा जाति ते लेत हैं, दीनबन्धु को नाम।।
यह हमने सुना अवश्य है कि त्रिलोकेश्वर श्री कृष्ण की मित्रता और प्रीति सुदामा नाम के एक दीन दुर्बल ब्राह्मण से थी। यह भी सुना है कि भगवान यदुराज ने महाराज दुर्योधन का अतुल आतिथ्य अस्वीकार कर बड़े प्रेम से गरीब विदुर के वहाँ साग-भाजी का भोग लगाया था। पर ये बातें चित्त पर कुछ बैठती नहीं है। हरे-हरे! वह उन घिनौनी कुटियों में कैसे जाएगा? रत्नजनित स्वर्ण सिंहासन पर बिराजने वाला ईश्वर उन भुक्कड़ कंगालों के कटे-फटे कंबलों पर बैठने जाएगा? वह मालपुआ और मोहनभोग आरोगने वाला भगवान उन भिखारियों की रूखी रूखी रोटी खाने जाएगा? कभी नहीं हो सकता, हम अपने बनाए हुए विशाल राजमंदिर में उन दुर्बलों को आने भी न देंगे। उन पतितों और अछूतों की छाया तक हम अपने खरीदे हुए खास ईश्वर पर न पड़ने देंगे।
- त्रिलोकेश्वर श्री कृष्ण की मित्रता और प्रीति सुदामा नाम के एक दीन दुर्बल ब्राह्मण से थी। उक्त वाक्य का काल है-
- Question 7 of 30
7. Question
1 pointsहम अपने बनाये हुए विशाल राजमंदिर में उन दीन-दुर्बलों को आने भी न देंगे। रेखांकित पद है-
- Question 8 of 30
8. Question
1 pointsआस्तिक शब्द का अर्थ है-
- Question 9 of 30
9. Question
1 points‘पर ये बांतें चित्त पर कुछ बैठती नहीं हैं।’ इस वाक्य में क्रिया का भविष्यत् काल में रूप होगा-
- Question 10 of 30
10. Question
1 pointsनित्य एकवचन शब्द है-
- Question 11 of 30
11. Question
1 points‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ मुहावरे का सही अर्थ है-
- Question 12 of 30
12. Question
1 points‘एक बार कही बात को दोहराते रहना’ वाक्यांश के लिए एक शब्द है-
- Question 13 of 30
13. Question
1 points‘बुद्धिहीन’ शब्द व्याकरण की दृष्टि से किस संवर्ग में है?
- Question 14 of 30
14. Question
1 points‘छत से ईंट गिरी’ वाक्य में कौनसा कारक है?
- Question 15 of 30
15. Question
1 pointsमहोर्मि का संधि विच्छेद है-
- Question 16 of 30
16. Question
1 pointsसमष्टि का विपरीतार्थी शब्द है-
- Question 17 of 30
17. Question
1 pointsकर्पट का तद्भव रूप है-
- Question 18 of 30
18. Question
1 pointsरमणीय में कौनसा प्रत्यय है?
- Question 19 of 30
19. Question
1 pointsचराचरम् (जगत) में कौनसा समास है?
- Question 20 of 30
20. Question
1 pointsअभ्यागत शब्द में कौनसा उपसर्ग है?
- Question 21 of 30
21. Question
1 pointsभाषा शिक्षण की पद्धति नहीं है-
- Question 22 of 30
22. Question
1 pointsबालक की प्रारम्भिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में दी जाये, यह मानना है-
- Question 23 of 30
23. Question
1 pointsव्याकरण शिक्षण के लिए उपयुक्त नहीं है-
- Question 24 of 30
24. Question
1 pointsआनन्द कादम्बिनी पत्रिका का प्रकाशन कहाँ से होता है?
- Question 25 of 30
25. Question
1 pointsआदिकाल की रचना है-
- Question 26 of 30
26. Question
1 pointsहिन्दी गद्य-शिक्षण की पाठ-योजना में उद्देश्य कथन आता है-
- Question 27 of 30
27. Question
1 pointsशब्द का अर्थ स्पष्ट करने हेतु कौनसा तरीका सर्वाधिक उपयुक्त है?
- Question 28 of 30
28. Question
1 pointsभाषा-कौशलों के सम्बन्ध में कौनसा कथन सही है?
- Question 29 of 30
29. Question
1 pointsभाषा _______ और ______ का एक उत्तम साधन है।
- Question 30 of 30
30. Question
1 pointsभाषा सीखने का व्यवहारवादी दृष्टिकोण _______ पर बल देता है।